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Atal Bihari Vajpayee

With regard to his poetry he wrote, "My poetry is a declaration of war, not an exordium to defeat. It is not the defeated soldier's drumbeat of despair, but the fighting warrior's will to win. It is not the despirited voice of dejection but the stirring shout of victory.


“आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अंधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ेंबुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँहम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ आंखों से ओझलवतर्मान के मोहजाल मेंआने वाला कल न भुलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ।आहुति बाकी यज्ञ अधूराअपनों के विघ्नों ने घेराअंतिम जय का वज़्र बनानेनव दधीचि हड्डियां गलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ”
Atal Bihari Vajpayee
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